वन रेंजरों को आशंका, हाथी नहीं अपनाएगा बिछड़े बछड़े को। उन्होंने यह किया

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काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक दो महीने के हाथी के बछड़े के अपनी झुंड से बिछड़ जाने की घटना ने वन रक्षकों को चिंता में डाल दिया था। यह बछड़ा असम के इस प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान में अपने परिवार से अलग हो गया था, जिससे उसके जीवन पर संकट उत्पन्न हो गया था। वन रक्षकों को डर था कि यदि बछड़ा अपनी माँ से नहीं मिल पाया, तो वह जीवित नहीं रह पाएगा। इस स्थिति को देखते हुए, वन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए बछड़े की खोजबीन शुरू की। आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की सहायता से बछड़े के ठिकाने का पता लगाया गया। इसके बाद, वन रक्षकों ने बड़े धैर्य और सावधानी के साथ बछड़े को उसकी माँ के पास पहुँचाने की योजना बनाई। इस दौरान, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि बछड़े और उसकी माँ के बीच कोई बाधा न आए और वे सहजता से एक-दूसरे को पहचान सकें। आखिरकार, वन रक्षकों की मेहनत रंग लाई और बछड़ा अपनी माँ से मिल गया। इस पुनर्मिलन से वन विभाग के अधिकारी और स्थानीय लोग दोनों ही अत्यंत खुश हैं। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सही समय पर उठाए गए कदम और समर्पण से किसी भी संकट का समाधान किया जा सकता है। वन विभाग ने इस सफलता को वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना है।

Authored by Next24 Hindi