आयुष कुमार | चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी

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**आयुष कुमार | चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी** 17 जून, 1991 को दक्षिण अफ्रीका में जनसंख्या पंजीकरण अधिनियम को निरस्त कर दिया गया था। इस अधिनियम के तहत, 1950 से प्रत्येक दक्षिण अफ्रीकी नागरिक को उनकी नस्लीय पहचान के आधार पर पंजीकृत किया जाता था। यह कानून नस्लीय भेदभाव की जड़ था और इसके चलते समाज में गहरे विभाजन उत्पन्न हुए थे। इस अधिनियम के निरस्तीकरण ने दक्षिण अफ्रीका के नागरिकों को एक नई दिशा में चलने का अवसर दिया। इस अधिनियम के निरस्त होने के बाद, दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय समानता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। यह कदम देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। इससे पहले, नस्लीय भेदभाव के कारण कई सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बनी हुई थीं। इस निर्णय ने दक्षिण अफ्रीका के समाज में एकता और समृद्धि की नई उम्मीदें जगाईं। आज, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र आयुष कुमार इस ऐतिहासिक घटना को समझने और इसके प्रभावों का अध्ययन करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह घटना न केवल दक्षिण अफ्रीका बल्कि विश्व भर के देशों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। आयुष का मानना है कि इस प्रकार के कानूनों का निरस्तीकरण सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक आवश्यक कदम है, जो किसी भी समाज के विकास के लिए अनिवार्य है।

Authored by Next24 Hindi